जब-जब पाप बढ़ता है भगवान अवतार लेते हैं - बालकृष्ण महाराज
भानपुर, बस्ती। तहसील क्षेत्र के वैष्णों माता मंदिर परिसर ग्राम कोठिला में चल रहे सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के तीसरे दिन श्रोता भक्ति के रंग में पूरी तरह सराबोर नजर आये। इस मौके पर कथाव्यास पं श्रीबालकृष्ण आशीष जी महाराज के मुखारविंद से परीक्षित को श्राप, सुखदेव आगमन, कपिल देवहुति संवाद, ध्रुव चरित्र का प्रसंग सुनकर उत्साह और उमंग से श्रद्धालुओं ने श्रीराधे, राधे-कृष्ण की गूंज के साथ झूमते-गाते नजर आए।
श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा सुनाते हुए कथा वाचक कथा व्यास पंश्रीबालकृष्ण आशीष जी महाराज नें बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए। चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों हो। कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा। जीवन का लक्ष्य परमात्मा प्राप्ति हैं, भगवान से अपनापन से भगवान की प्राप्ति की जा सकती है। कथा के दौरान महराज ने बताया कि संसार में जब-जब पाप बढ़ता है, भगवान धरती पर किसी न किसी रूप में अवतरित होते हैं। उन्होंने कहा कि कलयुग में भी मनुष्य सतयुग में भगवान कृष्ण के सिखाए मार्ग का अनुसरण करे तो मनुष्य का जीवन सफल हो सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है।
कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है। उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की।
इस दौरान आचार्य भूषण दास, आचार्य कपिल मुनि, आचार्य धीरज, पंडित हर्ष, पंडित प्रकाश एवं पंडित सियाराम के द्वारा वेदमंत्रों के उच्चारण से वातावरण भक्तिमय बना दिया। कथा के दौरान मुख्य यजमान बजरंगी प्रसाद शर्मा, पुष्पा शर्मा, जामवंती शर्मा सहित सपा नेता राजेश शुक्ल विमल, सुरेंद्र दत्त पांडेय, सुखनंदन चतुर्वेदी, ओमप्रकाश त्रिपाठी,अभिषेक शर्मा, केशवराम पांडेय, नितेश शर्मा, चंद्रभूषण पांडेय, सत्येंद्र पांडेय, शिव प्रसाद पांडेय, महेश पांडेय, विवेक शर्मा राजू,आशुतोष शुक्ल, प्रियांशु शर्मा, सुनील पाठक, मनोज पांडेय लोलई बाबा, अंकुर पाठक, रिंकू शर्मा, घनश्याम पांडेय, संतोष शर्मा, बाबूराम चौरसिया, विकास शर्मा उपस्थित रहे।
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