सेवा और सादगी के प्रतीक थे कर्पूरी ठाकुर- ज्ञानेन्द्र पाण्डेय
दलित, शोषित, और वंचित वर्गों के उत्थान में अनुकरणीय है कर्पूरी ठाकुर का योगदान
जननायक के रूप मे है कर्पूरी ठाकुर की पहचान-ज्ञानेन्द्र
जननायक के रूप मे है कर्पूरी ठाकुर की पहचान-ज्ञानेन्द्र
बस्ती, 17 फरवरी। कर्पूरी ठाकुर की पहचान एक जननायक के रूप में है। वे सादगी और सेवा की मिसाल हैं। उन्होने अपने कार्यकाल में दलित, शोषित, और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए कई प्रयास किए। उनके नेतृत्व में पिछड़े वर्गों को सरकारी नौकरियों में 12ः आरक्षण दिया गया, जो 1978 में मुंगेरी लाल आयोग के तहत लागू हुआ।
यह बातें कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष ज्ञानेन्द्र पाण्डेय ‘ज्ञानू’ ने कही। वे कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि पर पार्टी कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में उन्हे श्रद्धांजलि दे रहे थे। कांग्रेस नेता ने कहा कर्पूरी ठाकुर का राजनीतिक सफर 1967 के चुनावों में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रमुख नेता के रूप में हुआ। 1970 में वे पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने और 1977 में पुनः इस पद को संभाला। प्रवक्ता मो. रफीक खां ने कहा कर्पूरी ठाकुर हमेशा गरीबों और वंचितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे।
उनकी ईमानदारी और समाज सेवा की भावना ने उन्हें बिहार के लोगों का आदर्श बना दिया। महासचिव गंगा प्रसाद मिश्र ने कहा कर्पूरी ठाकुर ने मुख्यमंत्री रहते हुए भी कोई निजी संपत्ति नहीं बनाई। इस अवसर पर प्रमुख रूप से बृजेश कुमार पाण्डेय, शकुन्तला देवी, डीएन शास्त्री, लक्ष्मी यादव, शौकत अली, अलीम अख्तर, अतीउल्लाह, रामधीरज चौधरी, नफीस अहमद, इजहार अहमद, लालजीत पहलवान, आनंद निषाद, राजबहादुर निषाद, राजेश भारती, सोमनाथ संत, अमरबहादुर आदि मौजूद रहे।
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