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बस्ती में रामराज्य की स्थापना के साथ हुआ श्री रामलीला मंचन का विश्राम

सनातन धर्म संस्था ने मनाया प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का महोत्सव...




बस्ती। सनातन धर्म संस्था द्वारा आयोजित श्री रामलीला महोत्सव के नवम दिवस का शुभारंभ नित्य की भांति भगवान श्री राम जी, लक्ष्मण जी, हनुमानजी  की आरती के साथ प्रारम्भ हुआ। 
राज्याभिषेक के अवसर पर अपने बच्चों सहित पधारे पुलिस महानिरीक्षक बस्ती परिक्षेत्र- रामकृष्ण भारद्वाज ने कहा कि मैं कई बर्षों से परोक्ष अपरोक्ष रूप से इस उत्सव से जुड़ा रहा, यह देश की अद्भुत रामलीला है, आज के समय मे जब लोग सिनेमा और पश्चिमी सभ्यता की ओर भाग रहे हैं तब सनातन धर्म संस्था-बस्ती द्वारा ऐसे आयोजन करके भारत के वर्तमान और भविष्य को मूल से जोड़ना प्रशंशनीय है, मैं आयोजकों के इस सुंदर कार्य के लिए शुभकामनाए देता हूँ।
इस अवसर पर निवर्तमान सांसद व असम राज्य के प्रभारी मा० हरीश द्विवेदी ने कहा कि बस्ती में श्रीरामलीला महोत्सव का जो कार्यक्रम पिछले 5 वर्ष से बस्ती में सनातन धर्म संस्था ने शुरू किया उसकी आवश्यकता बहुत पहले से थी, इस रामलीला के माध्यम से बच्चों में जो संस्कार जीवन के प्रारंभिक अवस्था में ही दिया जा रहा है वह बच्चों को संस्कारित व सनातनी मनुष्य बनाने का कार्य कर रहा है। यह बच्चे पढ़ लिखकर जिस भी सेवा में जाएंगे यह संस्कार उन्हें वहाँ काम आएगा और भारत मे सुंदर समाजिक व्यवस्था बनी रहेगी। आज के प्रथम सत्र में रावण वध रावण, विभीषण राज्याभिषेक, सीता जी की अग्नि परीक्षा का मंचन पण्डित चतुर्भुज इन्टरकालेज कप्तानगंज के बच्चों द्वारा किया गया, आज के प्रसंग में रावण को मेघनाथ वध की सूचना मिलती है सूचना मिलते ही रावण मूर्छित होकर विविध विलाप करने लगता है *सुत बध सुना दसानन जबहीं, मुरछित भयउ परेउ महि तबहीं।।* फिर रावण अपनी सेवा को ललकारते हुए आदेशित करता है की कोई भी सैनिक  रण क्षेत्र से अपनी पीठ दिखाकर नहीं भागेगा जो भागेगा वह मारा जाएगा जैसे ही रावण अपने रथ पर सवार होकर राणा क्षेत्र में आता है और एक तरफ से प्रभु राम की सेना  के बंदर भालुओं को मारना काटना प्रारंभ कर देता है। रामा दल में हाहाकार मच जाता है इधर रावण के विरुद्ध श्री राम को पैदल देख विभीषण चिंतित होते हैं तब प्रभु उनकी चिंता को देखते हुए बोलते हैं की विभीषण जिससे जय होती है वह रथ दूसरा ही है शौर्य और धैर्य उसे रथ के पहिए हैं सत्य और सील उसकी मजबूत ध्वज और पताका है बाल विवेक दाम और परोपकार यह कर उसके घोड़े हैं जो क्षमा दया और समता रूपी डोरी से रथ से बंधे हुए हैं । इधर लक्ष्मण प्रभु से आज्ञा प्राप्त कर रावण को ललकारते हैं रावण अपने पुत्रों के वध करने वाले लक्ष्मण को समक्ष प्रकार अत्यंत क्रोधित हो भाव बोल देते हैं दोनों में भयंकर युद्ध होता है लक्ष्मण को भारी पड़ता देख रावण ब्रह्म शक्ति का प्रयोग कर लक्ष्मण को मूर्छित कर देते हैं तब बजरंगबली रावण से युद्ध कर उन्हें घुटने पर ला देते हैं लक्ष्मण को सफल होते देखा प्रभु देवताओं द्वारा भेजे रथ पर सवार होकर राणा क्षेत्र में आ जाते हैं प्रभु और रावण के बीच भयंकर बंद होता है जिस धरती थर्रा उठाती है प्रभु रावण के शीश बार-बार काटते हैं लेकिन वह फिर जीवित हो जाता है तब विभीषण रावण के मृत्यु का भेद प्रभु राम को बदलते हैं प्रभु तीर का संधान कर रावण की लीला को समाप्त कर देते हैं समूचे पंडाल में जय श्री राम की जय घोष होने लगती है। रावण के मृत्यु उपरांत प्रभु विभीषण का राज्याभिषेक करते हैं सीता जी की वापसी के साथ सीता मइया की अग्नि परीक्षा का सुंदर मंचन होता है।
आज आरती में मुख्य रूप से डॉ अश्विनी सिंह, सीताराम, दुर्गा प्रसाद तिवारी, अनिल तिवारी, दिनेश मिश्र, अशोक मिश्र, संजय सिंह, डॉ कैप्टन मिश्र, रंजना अग्रहरि, राजेश मिश्र, लता सिंह, शालिनी मिश्रा, सरिता शुक्ल, रघुवर पाण्डेय, त्रियुगी नारायण त्रिपाठी, आदित्य नाथ पाण्डेय, कमलेंद्र पटेल, अरुण मणि त्रिपाठी, डॉ कंचन माला त्रिपाठी आदि सम्मिलित हुए।
दूसरे प्रसंग के मंचन में आज प्रभु श्री राम के अयोध्या वापसी, भरत मिलाप, राम राज्याभिषेक व पुरजन उपदेश का मंचन ड्रीमटी इंटरनेशनल स्कूल के बच्चों द्वारा किया जाता है अयोध्या वापस आते ही प्रभु भारत से मिलते हैं प्रभु के राज्याभिषेक की सुंदर तैयारी होती है, चहुँओर सुंदर गीत गाए जाते हैं, पूरे राज्य को सुंदर दुल्हन की तरह सजाया जाता है, श्री राम दरबार की झाँकी जैसे दर्शकों के समक्ष दिखी, भगवान श्री राम जी के जयघोष व आतिशबाजी होने लगी।
इस अवसर पर आयोजन समिति के सदस्यों ने अबीर गुलाल उड़ाये और बच्चों में खिलौने, कार्यकर्ताओं को उपहार बांटे गए। प्रभु सिंहासन पर आसीन होते हैं, शास्त्रों के तरीके से प्रभु का राज्याभिषेक होता है और प्रभु की स्तुति गाई जाती है। प्रभु द्वारा पुरजन उपदेश के द्वारा आम जनमानस के लिए सुंदर शिक्षा दी जाती है।
सनातन धर्म संस्था ने इस सफल आयोजन के लिए समस्त सनातन धर्म अनुरागियों का आभार व्यक्त किया और अगले वर्ष यह मंचन भव्य- दिव्य होगा इस संकल्प के साथ सभी को शुभकामना प्रेषित किया गया।
इस अवसर पर नागेंद्र सिंह कुँवर, गोपेश्वर त्रिपाठी, शुशील मिश्र, अखिलेश दूबे, कैलाश नाथ दूबे, रमेश सिंह, सुरेंद्र पांडेय, अनुराग शुक्ल, सी ए अभिषेक मणि त्रिपाठी, मनीष सिंह, बुद्धिसागर दूबे, चंदन सिंह, भोलानाथ चौधरी, अभिनव उपाध्याय, अंश श्रीवास्तव, डॉ दुर्गेश पाण्डेय, प्रथम तुलस्यान, डॉ रोहन दूबे, अमन श्रीवास्तव, अभय त्रिपाठी, डॉ रोहन दूबे, डॉ शैलेश सिंह, अंकित त्रिपाठी, उमेश चंद्र त्रिपाठी, मीना त्रिपाठी, मुक्तेश्वर नाथ आजाद, शिवम, हरीश त्रिपाठी, सुनील शुक्ल, 
विष्णु शुक्ल, विश्वम्भर शुक्ल, ओम प्रकाश दूबे, सुनील सिंह आदि सहित पूरा पांडाल भरा रहा।
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