उपेक्षा का शिकार है पुलिस कल्याण बाल उद्यानः अब नहीं गूंजती पुलिस कर्मियों के बच्चों की किलकारियां
सामाजिक कार्यकर्ता अर्जुन उपाध्याय ने किया उद्यान और मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग
बस्ती। 8 दिसम्बर 1975 को तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक वासुदेव पाजानी ने बड़ी उम्मीद के साथ पुलिस लाइन के निकट पुलिस कल्याण बाल उद्यान का उद्घाटन किया था। उद्यान परिसर में ही कुंआनों तट के निकट श्री हनुमान जी और अन्य देवी देवताओं का मंदिर है जहां लोग श्रद्धा से सिर नवाते हैं। इस उद्यान में बच्चों की किलकारियां, उनकी उछलकूद शोभा बढाती थी किन्तु पिछले 10 वर्ष से यह उद्यान उपेक्षा का शिकार हो गया। मंदिर से नदी तट तक जाने वाली पक्की सीढियां टूट कर जर्जर हो गई है। यहां तक पहुंचने वाले मार्ग की हालत दयनीय है। रखरखाव के अभाव में मंदिर और उद्यान तक पहुंचने वाले मार्ग पर शाम होेते ही घुप्प अंधेरा हो जाता है। पुलिस कल्याण बाल उद्यान में प्रायः पुलिस कर्मियोें और स्थानीय लोगों के बच्चे खेलने कूदने आ जाते थे किन्तु अब यह सिलसिला थम गया है।
49 वर्ष पुराने हो चुके पुलिस कल्याण बाल उद्यान और उपेक्षित मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग करते हुये सामाजिक कार्यकर्ता एवं जिला एकीकरण समिति के सदस्य अर्जुन उपाध्यक्ष ने आई.जी. और पुलिस अधीक्षक से आग्रह किया है कि इस स्थान का जीर्णोद्धार कराकर पुलिस कर्मियोें और स्थानीय नागरिकों ेके लिये इसे इसे आदर्श पर्यटन और अयात्मिक स्थल के रूप में विकसित किया जाय। कुंआनो के तट पर स्थित पुलिस कल्याण बाल उद्यान में फिर से बच्चों की किलकारियां और प्रार्थना के स्वर गंूजे। उन्होने कहा कि इससे पुलिस कर्मियोें के परिजनोें को जहां सुविधा होगी वहीं क्षेत्र का भी समग्र विकास होगा। सड़क का निर्माण और प्रकाश व्यवस्था अपरिहार्य है।
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