श्रद्धा भक्ति भाव से की गई गोवर्धन पूजा, टोलियों में आये मोनी बाबाओं ने देवालयों में गाजे-बाजे के साथ किया नृत्य
मोनी बाबाओं ने देवालयों में गाजे-बाजे के साथ किया नृत्य
UPENDR GOSWAMI
महोबा: दीपावली के दूसरे दिन परमा होती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा गोवर्धन के रूप में इसलिए की जाती है कि उन्होंने गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। इसके साथ ही मोनी नृत्य में किशोरों द्वारा घेरा बनाकर मोर के पंखों को लेकर बड़े ही मोहक अंदाज में नृत्य किया जाता है। बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों के लोगों के मौन होकर मौन परिवा के दिन इस नृत्य को करने से इस नृत्य का नाम मौनिया नृत्य रखा गया। साथ ही, मौन व्रत करने वालों को मौनी बाबा भी कहा जाता है। मंदिर पर माथा टेकने के बाद मौनिया टोली के प्रण के अनुसार 5 या 7 गांवों में घूमकर मौनिया नृत्य करते हैं।
मौन रहकर गांव-गांव का करते हैं भ्रमण इस मामले में जानकारों ने बताया कि “मौनिया नृत्य करने के पहले सभी श्रृंगार करते हैं। बाद में गांव के मंदिर में जाकर व्रत धारण कर पूरे दिन किसी से बात नहीं करते। वे इसके बाद सिर्फ मौनिया नृत्य करते हैं। शाम होने के बाद यह व्रत खोला जाता है। “जिस गाँव की मौनिया नृत्य की टोली एक बार व्रत रख ले तो वह बारह वर्ष तक अनवरत करना पड़ता है। बुंदेलखंड की परंम्परा के तहत किया जाता है।
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