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किसानों को गन्ना उत्पादन के साथ ही गो वंश के संवर्धन और संरक्षण की आवश्यकता है -महेश शुक्ल



बस्ती। गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री महेश शुक्ल ने बस्ती सदर के गोयरी गांव में बजाज हिंदुस्तान ग्रुप द्वारा आयोजित किसान गोष्ठी को

 संबोधित करते हुए कहा कि किसानों को गन्ना उत्पादन के साथ ही गो वंश के संवर्धन और संरक्षण की आवश्यकता है। जहां गन्ना, किसानों की आर्थिक आय का महत्वपूर्ण साधन है वही गोवंश के पालन से किसानों के स्वास्थ्य एवं आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है। प्रदेश  सरकार गोवंश के संवर्धन एवं संरक्षण के प्रति  दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने किसानों से अधिक से अधिक गन्ना बुवाई करने और इससे अच्छी आय प्राप्त करने को कहा, साथ ही उन्होंने गोवंश के संरक्षण की  भी सलाह दी। कहा कि गोवंश को बेकार समझकर छोड़ ना दिया जाए बल्कि दूध के अलावा गोवंश से अन्य उत्पाद भी तैयार किए जा सकते हैं जिससे कि किसानों की आय स्थिर बनी रहेगी और  गो वंश से हर समय मुनाफा कमाया जा सकता है। प्रदेश सरकार इसके लिए योजना बनाकर काम कर रही है। इससे पूर्व श्री शुक्ल ने एक किसान के खेत में गन्ना बुआई का उद्घाटन किया। 

      इससे पूर्व बजाज हिंदुस्तान ग्रुप के उप प्रबंधक यस  के तिवारी ने चीनी मिल और किसानों के संबंध पर चर्चा करते हुए कहा कि किसानों की गन्ना संबंधी समस्याओं के निवारण लिए मिल हमेशा तैयार है। समय से गन्ना भुगतान की भी व्यवस्था की जाती है। उन्होंने कहा कि है अब तक 100 करोड़ 73 लाख रुपए गन्ना किसानों का मिल पर बकाया था जिसमें से 68 करोड़ से अधिक रुपए का भुगतान किया जा चुका है शेष के भुगतान की तरफ मिल प्रयासरत है।  इसी बीच एक  किसान द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए प्रबंधक श्री तिवारी  ने बताया कि किसान के परिवार में किसी की बीमारी, बेटी की शादी या किसी भी अन्य आकस्मिक अवसर पर किसान द्वारा सूचित किए जाने के बाद मिल उस किसान का बकाया भुगतान करने का पूरा प्रयास करती है और कई मामलों में भुगतान किया भी जा चुका है।  गोष्ठी को संबोधित करते हुए एडीएजी दीना नाथ मिश्रा ने कृषि विभाग की योजनाओ की जानकारी देते हुए कहा कि समिति पर मटर, चना आदि के बीज आ गए है किसान भाई वहां से प्राप्त कर सकते है। गोष्ठी का संचालन संचालन गगन पांडेय ने किया। गोष्ठी के दौरान ग्राम प्रधान कक्कू  शुक्ल, राम लगन चौधरी, आलम चौधरी, सर्वेश यादव, अनित शुक्ल के अलावा कई किसान मौजूद रहे। 

        

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