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निरक्षरों को साक्षर बनाने का जुनून, मेहदावल ब्लॉक के 4291 निरक्षर हुए साक्षर

 


संतकबीरनगर। पढ़ाई लिखाई की कोई भी उम्र नहीं होती। जब चाहे तभी से पढ़ा लिखा जा सकता है। यदि सीखना चाहे तो कभी भी अक्षर ज्ञान समेत लिखने का कौशल आसानी से सीखा जा सकता है। साक्षरता दर बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं। क्रियान्वयन की उदासीनता से लेकिन सभी केवल कागजों में सीमित रह जाते हैं। लेकिन बीईओ ज्ञानचंद्र मिश्र ने साक्षरता के जुनून से ब्लॉक के बेसिक विद्यालयों से जुड़े रसोइयों, अभिभावकों और प्रबंध समिति के 4291 सदस्यों को साक्षर बना कर एक नई मिसाल कायम किया है।

उन्होंने बताया ब्लॉक में तैनाती के समय सबसे पहले रसोइयों को अपने उपस्थिति रजिस्टर पर अंगूठा लगाने की स्थान पर हस्ताक्षर करने पर जोर दिया। उसके बाद प्रबंध समय सदस्यों को भी एमसी बैठक के समय कार्यवाही रजिस्टर में हस्ताक्षर करने पर जोर दिया। बाद में शिक्षकों और बच्चों की की मदद से अभिभावकों को भी साक्षर बनाया गया। साक्षरता बढ़ाने का जुनून सबसे पहले पहले नंदौर न्याय पंचायत में चला। जिसमें बेसिक स्कूलों से 623 निरक्षर सदस्यों को साक्षर बनाया गया था। इसके बाद उन्होंने क्षेत्र के सभी न्याय पंचायत के बेसिक स्कूलों से जुड़े निरक्षर लोगों को साक्षर बनाने का संकल्प लिया था। उनके जुनून का परिणाम निकला कि अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 8 सितंबर के एक दिन पहले ही नंदौर न्याय पंचायत के 623 के साथ परसा पांडेय मे 652, भिटियाँ कला में 687, सांड़ें कला में 130, बनकटा में 870, बेलौली में 167, जब्बार में 418 और बढ़या ठाठर में 744 निरक्षारो समेत कुल 4291 की संख्या में निरक्षरों को साक्षर बनाया गया। इस पर उन्होंने शिक्षकों, छात्रा-छात्राओं, रसोईयों व प्रबंध समिति के सदस्यों को बधाई एवं खुशी जताते हुए कहा कि साक्षर होने से व्यक्ति में पढ़ने लिखने बोलने सुनने व समझने की शक्ति का विकास होता है। इससे हमें गरीबी से बाहर निकलने और बेहतर कर गुजरने की क्षमता को हासिल करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि इससे लोगों को सफल पेशेवर बनने और अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति और समग्र कल्याण में सुधार करने की मदद मिलती है। बीईओ ने बताया कि अपने तैनाती वाले सभी सिद्धार्थनगर जिले के खुनियांव, भनवापुर और खेसरहाँ व इटवाँ, देवरिया जिले के गौरीबाजार, पथरदेवा, देंसही देवरिया, नगर क्षेत्र ब्लॉक में साक्षरता दर बढ़ाने का प्रयास किया था। आज मेंहदावल ब्लॉक भी साक्षरता दर को बढ़ाने के उनके जुनून की कड़ी में शामिल हो गया है । उन्होंने कहा कि जब रसोईया उपस्थिति रजिस्टर पर अंगूठा लगती थी, तो उन्हें काफी ग्लानि महसूस होती थी। आज सभी रसोइया, प्रबंध समिति सदस्य और अभिभावक हस्ताक्षर करने लगे हैं। इससे उन्हें काफी शांति महसूस हो रहा है।

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