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चमत्कार से प्रसिद्व हुआ बाबा भोलेनाथ मंदिर वजीरगंज

 



UP: भोलेनाथ मंदिर वजीरगंज भोले बाबा के आज के श्रंगार के दर्शन नंदवारी के पूर्व दिशा में बने भोलानाथ मंदिर पर सावन माह में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है।  लोगों को विश्वास है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। एमएफ हाइवे पर उत्तरी दिशा में करीब 300 वर्ष पूर्व सड़क किनारे वजीरगंज के सेठ स्व. बिहारी लाल के पूवर्जों ने एक प्याऊ की स्थापना करवाई थी। इनके दादा रामसुख दास जमीदार थे। उस समय बदायूं-चंदौसी को कच्ची सड़क थी। पैदल चलने वाले राहगीरों के लिए यहां कुआं का शीतल जल बहुत पसंद आता था। प्याऊ के पास पीपल और नीम केे विशाल वृक्ष थे। जिसके नीचे राहगीर छांव में विश्राम करते थे।


सड़क के दक्षिण दिशा में एक खेड़ा था। यह वेटोर गांव के उजड़ जाने पर बना था। उस प्याऊ पर एक सिद्ध पुरुष जिनका नाम भोलानाथ था, ने आकर अपनी कुटिया बनाई। भगवान शंकर के अनन्य भक्त भोलानाथ की प्रसिद्धि क्षेत्र में थी। लोग उनका बहुत आदर सत्कार करने लगे। कुछ समय बाद भोलानाथ का निधन हो गया। नंदवारी गांव के लोगों ने सिद्ध पुरुष का अंतिम संस्कार इसी खेड़े पर कर दिया। पूवर्जों का कहना है कि भोलानाथ लोगों को प्रेत रूप में दिखाई देने लगे क्षेत्र के लोगों की मांगी गई मुरादें पूरी होने लगीं।


किवदंती है कि इस क्षेत्र से कोई चोरी करके निकलता था तो सिद्ध पुरुष सफेद कपड़ों में खड़ाऊं पहने दिखते थे। चोर डरकर रास्ता बदल कर निकल जाते चोर खट-खट की आवाज अपनी तरफ आते सुनकर घबरा कर क्षमा याचना कर, चोरी नहीं करने की कह सामान वहीं छोड़कर चले जाते। इससे भोलानाथ की मान्यता दिन प्रतिदिन बढ़ती गई। वेटोर के खेड़े पर सिद्ध पुरुष का देव स्थान बनाकर पूजा अर्चना हर सोमवार को होने लगी। अब श्रद्धालु भव्य बाबा भोलानाथ के मंदिर पर शिव त्रियोदशी व सावन के हर सोमवार को जल चढ़ाकर मनौती मांगते हैं।

दो भाइयों को स्वयं शिव ने दी मंदिर निर्माण की प्रेरणा

उघैती। सावन के महीने में भगवान शिव अपने भक्तों का सारा दुख हर लेते हैं। कस्बे में शिव मंदिर पर भगवान शिव के बने शिवलिंग पर पूजा-अर्चना की विशेष मान्यता है। यहां दूध और बेल पाती चढ़ाने मात्र से ही भगवान शिव ने सभी की मन्नत पूरी की हैं। इसलिए यहां रोजाना शिवलिंग की पूजा करने के लिए कस्बे के साथ दूर दराज से भी महिलाएं व पुरुष आते हैं लेकिन सोमवार के दिन इस शिव मंदिर पर भक्तों की लंबी लाइन लग जाती है।

चर्चित कहानी है शिव मंदिर के निर्माण की

गांव के बुजुर्गों ने बताया कि मंदिर का निर्माण करने का विचार कस्बे के रहने वाले दो भाइयों डॉ. नत्थूलाल गुप्ता व मोरपाल गुप्ता को आया। एक बार दोनों भाई बैठकर बातें कर रहे थे कि तभी मोरपाल गुप्ता के मन में भगवान शिव का मंदिर बनाने का विचार उठने लगा और तभी दोनों भाइयों ने कस्बे के ग्रामीणों के सहयोग से सन 2006 में इस मंदिर को बनवाकर इस में शिवलिंग और शिव के वाहन नंदी को स्थापित कर दिया। मंदिर में दोनों ने मिलकर शिव की आराधना की तभी से इस मंदिर पर कस्बे के साथ पड़ोस के लोग पूजा करने लगे और आज भी दोनो भाई इस मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।

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