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UP News: सावन माह में 40 दिन दीपक जलाने से पूरी होती मनोकामना

 


UP : श्रावण मास शुरू होते ही शिवालयों में भक्तों का तांता लगने लगता है। श्रावण मास में शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं इस माह में शिवालयों में गंगाजल अर्पित करने का भी महत्व है। जनपद मुरादाबाद में भी शिवजी के ऐसे दो प्राचीन मंदिर है जहां शिवलिंग स्वतः ही प्रकट हुए थे। जहां आज भी सावन माह में लाखों की संख्या में कावड़िया पहुंचकर गंगाजल चढ़ाते हैं। मुरादाबाद शहर का प्राचीन मंदिर कालांतर में झारखंडी मंदिर के नाम से जाना जाता है। मुरादाबाद का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाने वाला झारखंडी मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र ही नहीं भोले बाबा के भक्तों के लिए किसी चमत्कार पीठ से काम नहीं है। यही कारण है इस मंदिर में महादेव के दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से खींचे चले आते हैं। झारखंडी मंदिर करीब 500 साल पुराना है। मान्यता है कि इसका शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था। जनश्रुतियों की माने तो उस समय रामगंगा के दक्षिणी छोर पर अगला नागफनी की घनी झाड़ियां थी। इसलिए इस इलाके का नाम नागफनी पड़ गया। झाड़ियां की साफ सफाई के दौरान लोगों को शिवलिंग नजर आए। इसी के बाद लोगों ने इस स्थान को शिवालय का रूप दे दिया। यहां स्थापित शिवलिंग काला और चमकीला है। झारखंडी मंदिर के नामकरण के पीछे ऐसी मान्यता है कि जिस जगह यह मंदिर है उस जगह उस समय चारों ओर सिर्फ झाड़ झंखाड़ और छोटे-बड़े पेड़ों के झुरमुट होते थे। इसी कारण इस मंदिर का नाम पहले झाड़खंडी पड़ा और अब कलयुग में इसे झारखंडी मंदिर के नाम से जाना जाता है।

झारखंडी मंदिर में सावन के महीने में शाम को लगातार 40 दिन तक दीपक जलाने से हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसी मान्यता सालों से कायम है। इसी मान्यता के चलते यहां पर सावन माह में शहर से ही नहीं बल्कि आसपास के दूर-दराज से भी बाबा के तमाम भक्त दीपक जलाने यहां पहुंचते हैं। क्योंकि सावन 30 दिन का ही होता है इसलिए भक्त आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पंचमी से यहां दीपक जलाना शुरू कर देते हैं और सावन की पूर्णिमा को पूर्ण कर देते हैं। झारखंडी मंदिर में हर वक्त बाबा का धुना चलता है भक्त इसकी भभूत को प्रसाद मानकर आस्था के साथ ग्रहण करते हैं। सावन के महीने में झारखंडी नाथ मंदिर आस्था का विशेष केंद्र होता है और यहां आने वालों की संख्या में कई गुना इजाफा हो जाता है। पिछले 44 साल से महंत भोलेनाथ मंदिर की व्यवस्था देख रहे हैं मंदिर के जीणोद्धार के बाद मंदिर में मां दुर्गा, हनुमान जी, शिव जी, लक्ष्मी नारायण, बृहस्पति देव सहित अनेक प्रतिमा स्थापित की गई है। महंत जी का स्वास्थ्य खराब होने की वजह से अब मंदिर की देखरेख उनके बेटे अमित गोस्वामी और अंकित गोस्वामी करते हैं जबकि लव और हनी भी उनकी सेवा में अपना सहयोग समर्पित करते हैं।


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