Ballia News: घर के साथ रसोई एवं पूजा घरों में अवश्य करायें आईआरएस
कालाजार से बचाव को आईआरएस जरूरी
- 31 अगस्त से प्रभावित ब्लाक में किया जायेगा छिड़काव
- घर के साथ रसोई एवं पूजा घरों में अवश्य करायें आईआरएस
- घर के आस-पास रखें साफ़-सफाई, करें मच्छरदानी का प्रयोग
बलिया, 19 अगस्त 2023
जनपद में कालाजार उन्मूलन के लिए प्रभावित ब्लॉक में 31अगस्त से आई आर एस किया जायेगा। इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण इलाकों मे मिट्टी के घरों या कच्चे घरों,दरारों,दीवारों आदि में पनपने वाली बालू मक्खी को खत्म करने के लिए छिड़काव किया जाएगा । यह जानकारी जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ( डीएमओ) ने दी।
कालाजार प्रभावित ब्लॉक :- जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि जनपद में पिछले तीन वर्षों में कालाजार से 10 ब्लॉक के 35 ग्राम प्रभावित हैं। इनमें हनुमानगंज, मुरलीछपरा, कोटवा, रेवती, दुबहड़, चिलकहर, मनियर, बांसडीह, सोहाव,और पंदह ब्लॉक कालाजार प्रभावित हैं। खास बात यह है कि जनवरी 2023 से अभी तक केवल एक मरीज पी के डी एल ( चमड़ी वाला कालाजार ) का मिला है।
आई आर एस क्या है :- कीटनाशक दवा का छिड़काव यानि इंडोर रेजीडुअल स्प्रेईंग/ अंत:अवशेषी छिड़काव (आई.आर.एस) | यह एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा घर के अन्दर की दीवारों और घर में जानवरों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर छह फ़ीट की ऊँचाई तक दवा का छिड़काव किया जाता है। ताकि, कालाजार बीमारी का कारक बालू मक्खी से बचाव किया जा सके | कीटनाशक का छिड़काव, बालू मक्खी की संख्या को कम करता है। कीटनाशक का छिड़काव यदि सभी हिस्सों में नहीं किया गया हो तो बालू मक्खी बिना छिड़काव वाली सतह पर सुरक्षित रह जायेगी और उसे कोई नुकसान नहीं होगा ।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि साल में तीन बार दस्तक अभियान के दौरान और दो बार आईआरएस के दौरान घर-घर कालाजार लक्षण युक्त व्यक्तियों के लिये विशेष खोज अभियान चलाया जाता है। कालाजार के संभावित का टेस्ट पॉजिटिव आने पर उनका इलाज सुनिश्चित किया जाता है। साथ ही साथ कालाजार के मरीजों को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में 500 रुपये एवं पीकेडीएल के मरीज़ों को श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में 4000 रुपये एवं आशा को पॉजिटिव मरीज खोजने पर 500 रुपये देने का प्रावधान है। घरों में साल में दो बार आईआरएस प्रभावी ढंग से किया जाता है। आईआरएस के दौरान रसोई एवं पूजा घरों में गांव के लोगों द्वारा छिड़काव कराने से इनकार किया जाता है। जो गलत है। अतः जन समुदाय से अपील है की रसोई घर एवं पूजा घर सहित सभी कमरों की दीवारों पर छिड़काव कराना सुनिश्चित करें।
उन्होंने बताया कि कालाजार एक गंभीर संचारी रोग है, जो बालू मक्खी के काटने से फैलता है और अक्सर यह मक्खी ग्रामीण क्षेत्रों में नमी वाले स्थानों, चूहों के बिलों, मकान की दरारों में पायी जाती है। इससे बचाव के लिए घर के आसपास साफ़-सफाई का ध्यान रखकर एवं मच्छरदानी का प्रयोग कर इस रोग से बचा जा सकता है ।
उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति को 15 दिन से अधिक बुखार आना, भूख नहीं लगना, खून की कमी, वजन घटना, त्वचा का रंग काला होना आदि कालाजार के लक्षण हो सकते हैं । इसके प्रमुख लक्षणों में से एक लक्षण त्वचा पर धब्बा बनना है। यदि किसी व्यक्ति में यह लक्षण नजर आएं तो तत्काल नजदीक के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर उसकी जांच करायें। जिला चिकित्सालय पर इसका इलाज किया जाता है।
उन्होंने बताया कि यह बीमारी एक बार ठीक होने पर लापरवाही न करें क्योंकि यह दोबारा भी हो सकती है | इसलिए चिकित्सक की सलाह बेहद जरूरी है ।
रोकथाम:-
● घर में साफ-सफाई रखें। दीवार एवं आसपास के कोने की नियमित और पूरी सफाई आवश्यक है।
● घर में प्रकाश होना चाहिए।
● रोगी एवं स्वस्थ व्यक्ति की कड़ी (बालू मक्खी) को नष्ट करने के लिए छिड़काव जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक कराएं तथा तीन महीने तक घरों में किसी प्रकार की सफेदी और पुताई न कराएं।
● कमरे में जमीन से दीवार की कुछ ऊंचाई तक पक्की दीवार की चिनाई कराएं।
● पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
● जमीन पर न सोएं।
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