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आगामी पीढ़ियों के लिए आज से ही बचाए पेयजल : एडीएम

रिर्पाेट-शैलेन्द्र शर्मा

भूजल संचयन में वारदान साबित होगी नल से जल योजना : डा प्रवेश



आजमगढ़। चण्डेश्वर स्थित श्री दुर्गा जी पीजी कॉलेज में 16 जुलाई से 22 जुलाई  तक भूजल संचयन कार्यक्रम के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसके क्रम में  भूजल संचयन कार्यक्रम विषयक पर एक संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय के भूगोल कक्ष में चला।
जिसमे मुख्य अतिथि के रूप में अपर जिलाधिकारी एवं प्रभारी प्राधिकृत नियंत्रक अनिल कुमार मिश्र व विशिष्ट अतिथि महाराजा सुहेलदेव विवि के वित्त अधिकारी एवं डीसीएसके मऊ के प्राचार्य प्रोफेसर सर्वेश पांडे मौजूद रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि एडीएम प्रशासन अनिल कुमार मिश्र ने कहा कि आज हर घर मे लगभग आरओ लगे हैं, उससे लगभग 70 से 80 प्रतिशत पानी वेस्टेज होता है, ऐसे वेस्टेज पानी को नाली में नहीं बहाना चाहिए, उसे संरक्षित करके उसी वेस्टेज पानी से कपड़े की सफाई, स्नान, गाड़ी आदि की सफाई में ऐसे पानी का इस्तेमाल किया जाए। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नल से जल एक महत्वपूर्ण कदम भूजल के लिए साबित होगा। उन्होंने छात्रों से कहा कि हर चीज सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जाए कुछ जिम्मेदारियां हमारी आपकी भी हैं जिस पर गंभीर होना होगा। सरकार तो अपना दायित्व निभा रही है हम एक देश प्रेमी के नाते अपने दायित्व को कब निभाएंगे, जो कि विचारणीय है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर सर्वेश पांडे ने कहाकि यदि हम भूजल संचयन की तरफ संवेदनशील नहीं बने तो आने वाला कल बड़ा भयावह होगा जिसके लिए आगामी पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेगी। इसलिए बिना विलंब किए सरकार जो दायित्व निभा रही है वह तो ठीक है एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में  हमें भी आगे आना होगा।
महाविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर सूर्य नारायण चौबे ने भूजल योजना को पूर्णता प्रदान करने के लिए सबको अपनी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाया तथा बूंद-बूंद पानी के महत्व को दर्शाते हुए बिना विलंब किए बारिश के समय भूजल संचयन के प्रति छात्र-छात्राओं का ध्यान आकर्षित किया।
अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय प्राचार्य ने महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं विशेष रूप से प्राध्यापकों से भूजल संचयन के लिए जन जागरण का आह्वान किया।
साहित्यिक लहजे में सारगर्भित उद्बोधन करते हुए विद्यालय प्राध्यापक डॉ ईश्वर चंद त्रिपाठी ने जन सामान्य की मूलभूत आवश्यकता बताते हुए बिना विलंब किए भूजल संचयन की तरफ ध्यान आकर्षित कराया।
प्राध्यापक डॉक्टर प्रवेश सिंह कहा कि यदि समर सेबुल प्रतिबंधित कर दिया जाए तो मुझे लगता है भूजल का दोहन काफी हद तक कम हो जाएगा लेकिन गिरते जलस्तर को सही रखने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा नीम, अशोक आदि का पेड़ लगाना होगा। निश्चित रूप से यह कदम भूजल संचयन के लिए एक वरदान साबित होगा। साथ ही बताया कि कार की धुलाई या गाड़ी की धुलाई पाइप से न करते हुए बाल्टी के पानी से किया जाए ताकि कम से कम पानी का दोहन हो। उन्होंने छात्र-छात्राओं को आह्वान किया कि गांव गली चट्टी चौराहे तक भूजल संचयन की चर्चा करें। उन्होंने कहाकि जिस तरह प्रधानमंत्री जी के एक आह्वान पर स्वच्छता अभियान को मूर्त रूप मिला उसी तरह जल संचयन अभियान को भी परवान चढ़ाना होगा। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रोफेसर नागेंद्र द्विवेदी ने आयोजन समिति का आभार जताया। संचालन महाविद्यालय के सांस्कृतिक प्रभारी डॉ प्रवेश कुमार सिंह ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रोफेसर बृजेश, डॉ सुनील कुमार, डॉ फखरे आलम, डॉ सत्येंद्र, डॉ मुकुल, डॉ रामजी वर्मा, डॉ चंद विकास मौर्य, डॉ रविंद्र कुमार पांडे व महाविद्यालय के समस्त स्टाफ के साथ भारी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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