आजादी के दीवाने एवं आजाद हिंद फौज के सिपाही रामचन्द्र सिंह आजाद।
आजादी के दीवाने एवं आजाद हिंद फौज के सिपाही रामचन्द्र सिंह आजाद।
शरीर में गोली लगने के बाद भी आजाद हिंद फौज के सिपाही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामचन्द्र सिंह आजाद अंग्रेजों से लड़ते रहे।
प्रति वर्ष 11 जून को मनाई जाती है इनकी पुण्यतिथि।
मिहींपुरवा(बहराइच):नेता जी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा देश के नवयुवकों से आह्वान करते हुए तुम मुझे खून दो,मैं तुझे आजादी दूंगा के नारे को सुनकर देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए आजाद हिंद फौज में भर्ती होने के लिए निकले हजारों नवजवानों में से एक नवजवान युवक रामचन्द्र सिंह मौर्य भी थे।जो बाद में अपने नाम के आगे आजाद ही जोड़ लिए और हमेशा आजादी का ही जीवन जिए।महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आजाद हिंद फौज के सिपाही रामचन्द्र सिंह मौर्य आजाद का जन्म अविभाजित भारत वर्तमान में वर्मा देश के ग्राम चौखेक्वेंन,जियाबाड़ी रंगून में सन 01 जुलाई 1905 में हुआ था।बचपन से ही पहलवानी का शौक था। नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के आह्वान पर आजाद हिंद फौज के आठवीं रेजिमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुए।ट्रेनिंग के कुछ ही समय बाद नेता जी के विश्वास पात्रऔर योग्य कार्यकर्ताओं मे शुमार हो गए। 1941 में कैप्टन शहनाज के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज ने वर्मा भारत की सीमा पर स्थित इम्फाल में अंग्रेजी सेना को घेर लिया। भीषण लड़ाई हुई, आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए।इस लड़ाई में रामचन्द्र ने कई अंग्रजो को मार गिराया तथा 10-12 अंग्रेजों को घायल किया।तीसरे दिन दुश्मनों की एक गोली इनकी दाहिनी जांघ में लग गई। फिर भी ये बहादुरी से लड़ते रहे। लेकिन काफी खून निकल जाने से बेहोश हो जाने पर साथियों ने इनको कैंप पहुचाया।स्वस्थ होने पर नेता जी ने युद्ध में घायल सैनिको को सुरक्षित स्थान पर ले जाने तथा देखभाल करने की जिम्मेदारी सौंप दिया। देश के आजाद होने पर 1950 में सुरम्य वनों से आच्छादित देश की प्रसिद्ध सरयू और घाघरा नदियों के बीच स्थित कतर्नियाघाट के जंगल के किनारे ग्राम गंगापुर में आकर बस गये।इनके पुत्र रामतपेश्वर सिंह मौर्य ने बताया कि पिता जी ने यहां पर आर्य समाज की स्थापना की।इस दुर्गम क्षेत्र में शिक्षा के विकास के लिए विद्यालय की स्थापना किये। शिक्षा के विस्तार के लिए कई विद्यालयों में आर्थिक और शारीरिक योगदान कर विद्यालय निर्माण कराया।जीवन पर्यन्त छुआछूत, ऊंचनीच, नशापान, बालविवाह, दहेजप्रथा, जादू टोना, पाखण्ड आदि सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाते रहे। सन 2012 में भारत सरकार के गृह राज्य मंत्री जितेंद्र कुमार सिंह ने इनको सम्मानित किया था। 11 जून 2014 को 109 वर्ष की आयु में देश के सपूत महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने अंतिम सांस ली। मरणोपरांत उत्तर प्रदेश सरकार ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर सम्मानित किया।
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